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Channel: चुनाव – Navbharat Times Readers Blog
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समुद्र मंथन और आम चुनाव

हमेशा की तरह नारद मुनि भूलोक का भ्रमण कर रहे थे. दुनियाँ में कहीं शांति थी तो कहीं अशांति. कहीं लोग स्वर्ग का सा आनंद प्राप्त कर रहे थे तो कहीं के हालात नरक की याद दिला देते थे. कहीं मधुशाला में बियर...

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सेवक

कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता। एक पत्थर तो तवियत से उछालो यारो। बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्र के आम जनता जनार्दन को लेकर राजू ओझा ने अपने बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्र वासियों के लिए एक...

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भाजपा को नीतीश का साथ जरूरी, या फिर मजबूरी?

भाजपा को नीतीश का साथ जरूरी, या फिर मजबूरी? आज नीतीश कुमार को सत्ता में आए पंद्रह वर्ष हो गए। अगर बीच के डेढ़ साल निकाल दे तो हमेशा भाजपा, जदयू की सहयोगी पार्टी रही है। बिहार में दोनों ने मिलकर चुनाव...

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चुनाव

भारतीय साहित्य में नीति का महत्त्व हैं। सुखी जीवन भारतीय वासियों को भोजन के लिए संघर्ष की जरूरत नहीं। भोजन ,आराम ,नींद तो अनुशासन की कमी। चुनाव ,हर मत के लिए पैसे। वादा वही ,उम्मीदवार वही , पुराना वादा...

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नेताजी उदास क्यों?

नेता लोग ऐसे तो सिर्फ़ उसी समय उदास होते हैं जब चुनावी टिकट ना मिले या चुनाव हार जाएँ. बाकी समय जनता भले ही उदास हो वह आमतौर पर प्रसन्न ही रहते हैं. हाँ, कई बार जनता को दिखाने के लिये उदास होने का नाटक...

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दीदी... ओ दीदी!

दीदी! ओ दीदी! खुश तो बहुत हो न आप! जीत ने आपको महकते गुलाबों की वरमाला जो पहनाई है! सादगी और दहाड़ के लिए पहचानी जाती यह ‘बंगाल की शेरनी’ दहाड़ती किस लिए है? अन्याय, शोषण, अत्याचार, भेदभाव, धर्मांधता...

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करोना के साये में चुनाव

  करोना के साये में चुनाव निर्वाचन आयोग ने पांच विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी है और यह तस्दीक भी दी है कि करोना से बचाव के लिए सरकार के सभी दिशा-निर्देशों का समुचित पालन करना आवश्यक है ऐसे में यह एक...

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जनता का मूड

गत चुनाव में जनता ने यह दिखा दिया कि उसका थाह पाना मुश्किल है. वह क्या चाहती है इसका अंदाज बड़े बड़े लोगों को नहीं हो रहा था.लेकिन ऐसा होना आश्चर्य जनक नहीं है. जब जनता ने चुनाव की तैयारी को देखा...

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नेताजी, विज्ञान, और चुनावी समाधान

हमारी आज की कहानी के हीरो हैं एक नेताजी. पूरे पक्के नेता, घाघ और खुर्राट टाइप के. दूसरे को उल्लू बनाने और अपना उल्लू सीधा करने वाली कला में पूरे पारंगत. जनता में उनकी छवि कैसी है इसकी उन्होंने कभी...

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चुनावी रण...

चुनावी-शुचिता की विदाई… हमें बचपन से ही बताया गया था कि वोट देना एक बहुत ही महत्वपूर्ण, साफ सुथरी और स्वैच्छिक जनतांत्रिक प्रक्रिया है और वोटर पर किसी तरह की जोर-जबरदस्ती, डराना-धमकाना और लालच सर्वथा...

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