चुनाव
मनुष्य जीतता है ,अपने बल से नहीं ,अपनी सेवा से नहीं , अपने पैसे से ,भ्रष्टाचारी नेता के बल से। १००% वोट ३५-४०% विजेता ,६०% विरोध कहते हैं राजनैतिक होड़।
View Articleदिखावे की राजनीति
देश में जिस तरह से आम चुनावों या विधानसभाओं के चुनावों में विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के पक्ष में सम्बंधित दलों के स्टार प्रचारकों की तरफ से रोड शो करने माहौल बनाये जाने का काम किया जाता है वह...
View Articleभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का संकट-2
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का संकट-1 से आगे …….. सबसे पहले कांग्रेस को अपने संगठन के बारे में सोचना होगा क्योंकि आज अधिकांश जगहों पर संगठन की जो स्थिति बनी हुई है उसके दम पर भाजपा के मज़बूत संगठन और संघ...
View Articleभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का संकट-3
शीर्ष स्तर पर कांग्रेस कार्यसमिति में जिस तरह से राहुल गांधी ने पार्टी की शर्मनाक पराजय के लिए खुद को ज़िम्मेदार मानते हुए इस्तीफ़ा दिया और उसे नामंज़ूर कर दिया गया उसके बारे में भी गंभीरता से विचार करने...
View Articleभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का संकट-4
आज जिस तरह से युवा पीढ़ी की ज़िंदगी में सोशल मीडिया का दखल हो गया है उसको देखते हुए अब कांग्रेस को अपने ज़मीनी संगठन को मज़बूत करने के प्रयासों के साथ ही अगले एक साल में हल ज़िले में सोशल मीडिया टीम का गठन...
View Articleभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का संकट-5
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का संकट-4 से आगे…….. देश की सबसे पुरानी पार्टी जिसने देश की आज़ादी के लिए लम्बा संघर्ष किया और जिसने आज़ादी के बाद सबसे अधिक समय तक देश की सत्ता संभाली आज उसकी यह स्थिति आ गयी...
View Articleसमुद्र मंथन और आम चुनाव
हमेशा की तरह नारद मुनि भूलोक का भ्रमण कर रहे थे. दुनियाँ में कहीं शांति थी तो कहीं अशांति. कहीं लोग स्वर्ग का सा आनंद प्राप्त कर रहे थे तो कहीं के हालात नरक की याद दिला देते थे. कहीं मधुशाला में बियर...
View Articleसेवक
कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता। एक पत्थर तो तवियत से उछालो यारो। बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्र के आम जनता जनार्दन को लेकर राजू ओझा ने अपने बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्र वासियों के लिए एक...
View Articleभाजपा को नीतीश का साथ जरूरी, या फिर मजबूरी?
भाजपा को नीतीश का साथ जरूरी, या फिर मजबूरी? आज नीतीश कुमार को सत्ता में आए पंद्रह वर्ष हो गए। अगर बीच के डेढ़ साल निकाल दे तो हमेशा भाजपा, जदयू की सहयोगी पार्टी रही है। बिहार में दोनों ने मिलकर चुनाव...
View Articleचुनाव
भारतीय साहित्य में नीति का महत्त्व हैं। सुखी जीवन भारतीय वासियों को भोजन के लिए संघर्ष की जरूरत नहीं। भोजन ,आराम ,नींद तो अनुशासन की कमी। चुनाव ,हर मत के लिए पैसे। वादा वही ,उम्मीदवार वही , पुराना वादा...
View Articleनेताजी उदास क्यों?
नेता लोग ऐसे तो सिर्फ़ उसी समय उदास होते हैं जब चुनावी टिकट ना मिले या चुनाव हार जाएँ. बाकी समय जनता भले ही उदास हो वह आमतौर पर प्रसन्न ही रहते हैं. हाँ, कई बार जनता को दिखाने के लिये उदास होने का नाटक...
View Articleदीदी... ओ दीदी!
दीदी! ओ दीदी! खुश तो बहुत हो न आप! जीत ने आपको महकते गुलाबों की वरमाला जो पहनाई है! सादगी और दहाड़ के लिए पहचानी जाती यह ‘बंगाल की शेरनी’ दहाड़ती किस लिए है? अन्याय, शोषण, अत्याचार, भेदभाव, धर्मांधता...
View Articleकरोना के साये में चुनाव
करोना के साये में चुनाव निर्वाचन आयोग ने पांच विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी है और यह तस्दीक भी दी है कि करोना से बचाव के लिए सरकार के सभी दिशा-निर्देशों का समुचित पालन करना आवश्यक है ऐसे में यह एक...
View Articleजनता का मूड
गत चुनाव में जनता ने यह दिखा दिया कि उसका थाह पाना मुश्किल है. वह क्या चाहती है इसका अंदाज बड़े बड़े लोगों को नहीं हो रहा था.लेकिन ऐसा होना आश्चर्य जनक नहीं है. जब जनता ने चुनाव की तैयारी को देखा...
View Articleनेताजी, विज्ञान, और चुनावी समाधान
हमारी आज की कहानी के हीरो हैं एक नेताजी. पूरे पक्के नेता, घाघ और खुर्राट टाइप के. दूसरे को उल्लू बनाने और अपना उल्लू सीधा करने वाली कला में पूरे पारंगत. जनता में उनकी छवि कैसी है इसकी उन्होंने कभी...
View Articleचुनावी रण...
चुनावी-शुचिता की विदाई… हमें बचपन से ही बताया गया था कि वोट देना एक बहुत ही महत्वपूर्ण, साफ सुथरी और स्वैच्छिक जनतांत्रिक प्रक्रिया है और वोटर पर किसी तरह की जोर-जबरदस्ती, डराना-धमकाना और लालच सर्वथा...
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